#Fact. महाभारत की पोल गपूड लीला

 गजब हिंदी फैक्ट में आपका स्वागत है हम   यहां पर कुछ अनोखे टॉपिकओं को लेकर आपके सामने आते हैं और उन टॉपिक में कई गई बातों को तर्क एवं तार्किक शक्ति एवं बुद्धि के माध्यम से यह देखने का प्रयास करते हैं के कई गई बात या दिखाया गया दृश्य सत्य है या गफूर लीला 



तो आज का टॉपिक है।      

क्या विराट के युद्ध में अर्जुन ने कर्ण को सचमुच एक बार या दो बार जो भी है मेन मुद्दा है कि क्या अर्जुन ने विराट के युद्ध में कर्ण  को परास्त किया था या हराया था तो यह है हमारा आज का टॉपिक है इस पर हम अपने तार्किक शक्ति और बुद्धि लगाने का प्रयास करेंगे और प्रयास करेंगे कि महाभारत में कई गई यह बात सत्य है या फिर गलत और इसमें हम महाभारत के रेफरेंस से ही स्को पता करने की कोशिश करेंगे या यूं कहूं जानेंगे यह यथार्थ सत्य है या गपोड लीला लेकिन उससे पहले मैं आपको एक उदाहरण दूंगा इसके माध्यम से आप आसानी से मेरे द्वारा कही गई बात को समझ पाएंगे तो चलिए आगे बढ़ते हैं


उदाहरण। -     दो दोस्त हैं जिनका नाम एक का नाम रवि एक का नाम धनंजय धनंजय प्रॉपर शिक्षक के गाइडेंस में पड़ता है लेकिन रवि को अभी तक कोई शिक्षक नहीं मिला लेकिन रवि शिक्षक के पास जाता है जहां पर धनंजय पड़ता है लेकिन वह शिक्षक उसे शिक्षा देने से इंकार कर देता है फिर रवि यह प्रतिज्ञा कर लेता है कि मैं उनसे भी अच्छी शिक्षा प्राप्त करके रहूंगा और वह धनंजय के शिक्षक के शिक्षक यानी गुरु के गुरु के पास चला जाता है और शिक्षा प्राप्त करता है ऐसे ऐसे काफी समय निकल जाता है और उनकी शिक्षा पूर्ण हो जाती है और फिर काफी टाइम बाद दोनों एक पेपर देने के लिए आते हैं मान लीजिए वह पेपर IAS का है और महत्वपूर्ण बात यह है कि धनंजय ने आज से 15 साल तक यानी कि जो निकल चुके हैं कुछ भी नहीं लिखा है यानी के



 पेन तक नहीं पकड़ी है और रवि जिसने अधिक नहीं तो 30 दिन में से 10 दिन लिखने की प्रेक्टिस की है वह भी टॉपिक वाइज तो अब आप मुझे बताएं कि इनमें से सबसे अच्छा निबंध और टाइम पर कौन लिखेगा मैं आशा करता हूं कि आप मेरी बात को समझ गए होंगे अब टॉपिक पर आती हैं


कहा जाता है और दिखाया भी जाता है कि विराट के युद्ध में अर्जुन ने कर्ण को बुरी तरीके से एक बार नहीं दो बार तीन बार परास्त किया था यानी कि हराया था लेकिन जिस महारथी ने 15 साल तक बाण चलाना तो दूर की बात धनुष की प्रतिचा तक तक नहीं बांदी हो क्या वैसा कर सकता है और वह भी उसके सामने जिसको भगवान सूर्य देव ने कवच कुंडल 




उसके जन्म से ही उसे दिए थे जो उसको किसी भी हमले से बचाने में सक्षम थे और भगवान परशुराम ने उसे विजय धनुष भी दिया था और कहा था के जब तक वह तुम्हारे हाथ में रहेगा तब तक धरती पर तुम्हें कोई भी हरा नहीं सकता और यह भी कहा था कि महादेव के अतिरिक्त तुम्हें कोई भी इस धरती पर परास्त नहीं कर सकता मतलब हरा नहीं सकता और भगवान श्री कृष्ण ने भी उनकी प्रशंसा करते हुए कहा है जब अर्जुन कर्ण के रथ पर बाण चलाता था तो कर्ण का रथ 10 पग पीछे हट जाता था लेकिन जब करण अर्जुन के रथ पर बाण चलाता था तो अर्जुन का

रथ दो से तीन कदम पीछे हट जाता था तब भगवान कृष्ण उसकी प्रशंसा करते हुए कहते हैं वाह करण तुम सच्च मैं श्रेष्ठ धनुर्धर



 हो तो अर्जुन कहता है कि मैंने उसका रथ 10 पग पीछे हटाया तो आपने कुछ नहीं कहा लेकिन उसने तीन पग पीछे क्या  हटा दिया आप उसकी प्रशंसा करते थक नहीं रहे हो तो भगवान कृष्ण कहते हैं के तुम तो मुझे जानते हो मैं तीनों लोकों का स्वामी हूं यानी के तीनों लोगों का भार लेकर तुम्हारे रथ पर बैठा हूं और जिसके पैर को तुम्हारा भाई महाबली भीम  भी नहीं  हला सका वह स्वयं ध्वज के रूप में तुम्हारे रथ पर सवार हैं यानी के हनुमान और शेषनाग ने तुम्हारे रथ के पहियों को झगड़ा हुआ है तो तुम ही बताओ के इसे तीन पग पीछे हटाना तो बहुत दूर की बात है क्या इसको कोई रत्ती भर भी हिला सकता था यह तो कर्ण है जो तुम्हारे रथ को 3 पग पीछे धकेल रहा है तो अब आप सोचिए

के ऐसे महाबली महा पराक्रमी योद्धा को कोई ऐसा योद्धा जिसने 15 साल तक धनुष को हाथ तक नहीं लगाया हो वह स्को तीन चार बार तो क्या एक बार भी हरा सकता है और तब जब उसके पास कवच कुंडल थे नहीं ना तो महाभारत खुद ही अपनी पोल खोल देता है और यह बिल्कुल एक कपूर लीला है और अगर शस्त्रों की बात करें तो अर्जुन के पास जहां तक हमने सुना है पशुपति अस्त्र और ब्रह्मास्त्र यही दो बड़े अस्त्र थे लेकिन लेकिन करण के पास इस से भी बड़े अस्त्र मौजूद थे




 उसके पास संभाअस्त्र जो रक्षा के लिए होता था यह बड़े से बड़े वस्त्र को निकल जाता था जब इसका प्रयोग करते हैं तो शिव की प्रतिमा सामने दिखाई देने लगती है और यह बड़े से बड़े स्तर को निकल जाता था इसके अलावा ब्रह्मशिल अस्त्र जो एक साथ दुश्मन पर कई हथियारों से प्रहार करता था और इसके अलावा सबसे घातक ब्रह्मांड अस्त्र वह भी करण के पास मौजूद था और इसके बारे में बताया जाता है इस के प्रहार से सारी धरती का बिनानी करने में सक्षम था तो फिर ऐसे पराक्रमी योद्धा को जो अपने क्रोध को अपना शस्त्र बनाने में सक्षम था उसको कोई कैसे परास्त कर सकता है 



यह जानकारी आपको कैसी लगी इसी तरह की जानकारी और पाने के लिए कृपया हमें फॉलो कर लेना जिससे आपको समय-समय पर हमारे द्वारा दी गई जानकारी प्राप्त हो सके अगर आप मेरी बातों से सहमत नहीं हैं तो मुझे सही ज्ञान देकर या तर्क के साथ ज्ञान देने की कृपा करें पर फिर से कहूंगा तर्क के साथ और तर्क सही होना चाहिए





                    धन्यवाद



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